नवगीत नए हस्ताक्षर: १.
सुनीता सिंह
@सुनीता सिंह (15-12-2017)
सुनीता सिंह
"नक्काशियाँ"
[सुनीता सिंह नवगीत में प्रवेश कर रही हैं. उनके इस नवगीत पर मार्गदर्शन उन्हें आगे बढ़ने में सहायक होगा. उनका कथ्य और कहन उंकी अपनी है. किसी अन्य की नकल न करने के प्रति वे सजग हैं। }
*
मन भवन की
देहरी पर
प्रीत की नक्काशियाँ
देहरी पर
प्रीत की नक्काशियाँ
छेड़े मौसम
पवन साज पर
संगीत की धुन,
गुनगुनाता
है पपीहा
सुर मधुर चुन।
पवन साज पर
संगीत की धुन,
गुनगुनाता
है पपीहा
सुर मधुर चुन।
जैसे राजमहल में,
बाद बरसों,
गूँजती किलकारियाँ।।
बाद बरसों,
गूँजती किलकारियाँ।।
रूह करती
रूह से मिल
अकीदतों की बारिशें
क्या पता मिले
कब अनावृष्टियाँ
बूंद को भी गुजारिशें।।
रूह से मिल
अकीदतों की बारिशें
क्या पता मिले
कब अनावृष्टियाँ
बूंद को भी गुजारिशें।।
घनघोर कारे
घिरे बदरा
सुनामियाँ दुश्वारियाँ।।
घिरे बदरा
सुनामियाँ दुश्वारियाँ।।
नीर भरकर
व्यथित नयना
टूटते जलभार से,
हाय! चिंदी
हो गया उर
याद के गलहार से।।
व्यथित नयना
टूटते जलभार से,
हाय! चिंदी
हो गया उर
याद के गलहार से।।
दर्द का कोहसार
पसरा
बर्फ सी रुसवाईयाँ।।
पसरा
बर्फ सी रुसवाईयाँ।।
प्रेम सोता सूखता,
सूर्य तपता
मन गगन पर,
पर्ण पीले पतझड़ो के
सज गए
अंतर -चमन पर।।
सूर्य तपता
मन गगन पर,
पर्ण पीले पतझड़ो के
सज गए
अंतर -चमन पर।।
उगे अंतराल पर
बीज आस से
रोप दी हैं क्यारियाँ।।
बीज आस से
रोप दी हैं क्यारियाँ।।
(अकीदत --लगाव, कोहसार --पहाड़)
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