कुल पेज दृश्य

बुधवार, 20 दिसंबर 2017

doha -सुमनलता



विदुषी कहानीकार सुमनलता श्रीवास्तव के
जन्मदिवस पर प्रणतांजलि:
*
सुमन लिए श्री धरा पर, देती गंध बिखेर
आ महेंद्र ने समेटा, किंचित करी न देर
*
सुर वाणी से स्नेह है, जग वाणी से प्यार
कलम सु-मन के भाव को, देती सतत निखार
*
शत वर्षों तक सृजन से, भर हिंदी का कोष
सकल जगत में व्याप्त हों, तब ही हो संतोष
*   

कोई टिप्पणी नहीं: