कुंडलिया
वादे कर जो भुला दे, वह खोता विश्वास.
ऐसे नेता से नहीं, जनता को कुछ आस.
जनता को कुछ आस, स्वार्थ ही वह साधेगा.
भूल देश-हित दल का हित ही आराधेगा.
सलिल कहे क्यों दल-हित को जनता पर लादे.
वह खोता विश्वास भला दे जो कर वादे
...
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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मंगलवार, 19 दिसंबर 2017
kundaliya
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