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गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

चुनाव चालीसा

रामेश्वर शर्मा , रामू भइया', कोटा

जय-जय भारत भारती, जय-जय हिंदुस्तान।
आशीषों मम लेखनी, रचूँ काव्य मतदान॥

कुटिल जनों के हाथ में चली न जाए नाव।
आँख खोलकर कीजिये, अपना सही चुनाव॥

जय-जय प्यारा भारत देशा, भू मंडल पर राष्ट्र विशेषा।

सहस बरस तक सही गुलामी, शासक आए नामी-नामी॥

जब गाँधी की आँधी आयी, तब जाकर आजादी पाई॥

जनता पर जनता ही राजा, लोकतंत्र का मूल तकाजा॥

हम ही अपने मत के दाता, एक दिवस के क्षणिक विधाता॥

घोषित होता दिवस इलेक्शन, हरकत में आ जाता नेशन॥

क्या होरी, क्या धनिया-झुमरू, बाँध जाते सबके ही घुँघरू॥

नेता शहरी, गाँव-गाँव के, ढानी-कसबे, ठांव-ठांव के॥

बैनर, माइक, झंडे-झंडी, राजनीति के चंडू- चंडी॥

नए-पुराने शातिर पंजे, साथ कमल के खेलें कंचे॥

एक मुलायम-एक कठोरा, बाइसिकल का करे ढिंढोरा॥

लालटेन को लेकर लल्लू, समः रहा सूरज को उल्लू॥

कल तक जिनके जूते मारे, आज हुए हाथी को प्यारे॥

कहीं पे हँसिया कहीं हथौडा, हर दल का एक चिन्हित घोड़ा॥

डाकू-गुंडे, चोर-लुटेरे, हर दल में पैठे हैं गहरे॥

जब-जब आता दौर चुनावी, हो जाते जन यही प्रभावी॥

इस दल से उस दल के अन्दर, आते-जाते शातिर बन्दर॥

अपने घर को हरनेवाले, तन के उजले मन के काले॥

नेता क्या सब रंगे सियार, अन्दर नफरत ऊपर प्यार॥

जनता को सुख-सपन दिखाना, जाति-वर्ण से प्रेम सिखाना॥

लड़वाना भाषा से भाषा, उत्तर-दक्षिण की परिभाषा॥

अगडे औ' पिछडे का अंतर, कानों में देते हैं मंतर॥

मीना मुस्लिम जाट अहीरा, सबके वोटन हेतु अधीरा॥

रूपया बहता बनकर पानी, मदिरा की भी यही कहानी॥

वंशवाद के कुछ रखवारे, बाथरूम में नंगे सारे॥

बेटा पोता कहीं लुगाई, स्वयं नहीं तो छोटा भाई॥

दोहन हेतु गाय दुधारी, हर दल में है मारा-मारी॥

वोटर-वोटर द्वारे जाना, वोट मांगते ना शर्माना॥

बाद विजय के करते छुट्टी, पॉँच बरस की मानो कुट्टी॥

कहाँ देश है, कहाँ समाजा, इस चिंतन का नहीं रिवाजा॥

सरे लोक-विधानी बाड़े, नेतागण के नए अखाडे॥

गाँधी-नेहरू, नहीं पटेला, चौराहे पर देश अकेला॥

किसको थामे?, किसको छोडे?, किसके पीछे भारत दौडे॥

लोकतंत्र की चक्क-मलाई, चाट रहे मौसेरे भाई॥

बीसों दल का एक नतीजा, भये इलेक्शन बर्जर-पीजा॥

जन सज्जन सब भये उदासा, दुर्जन खेल रहे हैं पाँसा॥

बहुत निकट हैं नए इलेक्शन, आओ नूतन करें सिलेक्शन॥

एक यही अवसर है प्यारा, पाँच बरस तक नहीं दुबारा॥

मन वचनी कर्मन से सच्चा, चलो चुनें अब नेता अच्छा॥

रामू भैया ने यह दर्पण, मतदाता को किया समर्पण॥

अब तक खाए आपने, नासमझी से घाव ॥
मतदाताओं कीजिये, अब तो सही चुनाव॥

वोट आपका कीमती, रखिये इससे प्रीत ॥
निर्भयता मतदान की, देगी सच्चा मीत ॥
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