- संजीव 'सलिल'
नित्य निनादित नर्मदा, नवल निरंतर नृत्य।
सत-शिव-सुन्दर 'सलिल' सम, सत-चित-आनंद सत्य।
अमला, विमला, निर्मला, प्रबला, धवला धार।
कला, कलाधर, चंचला, नवला, फला निहार।
अमरकांटकी मेकला, मंदाकिनी ललाम।
कृष्णा, यमुना, मेखला, चपला, पला सकाम।
जटाशांकरी, शाम्भवी, स्वेदा, शिवा, शिवोम्।
नत मस्तक सौंदर्य लख, विधि-हरि-हर, दिक्-व्योम।
चिरकन्या-जगजननि हे!, सुखदा, वरदा रूप।
'सलिल'साधना सफलकर, हे शिवप्रिया अनूप।
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