कुल पेज दृश्य

रविवार, 26 अप्रैल 2009

REORGANIZATION of PUBLIC WORKS DEPARTMENTS IN INDIA

REORGANIZATION of PUBLIC WORKS DEPARTMENTS IN INDIA courtsey: hindi media

User Rating: / 0
PoorBest

MyBlog | Written by THE ROADS | शुक्रवार , 24 अप्रेल 2009

Public works departments in India whether central or states are mainly responsible for roads and buildings.

* Road network is backbone for socioeconomic development of a Nation.

* Healthy is backbone better will be out put. In any country condition of roads and the manners how travelers use them reflects about the whole system of that country.

* It is an indicator of SOBRIETY, DECENCY and PROSPERITY of a Nation.

* Every Government and public man will prefer to have better roads. Better Roads need better construction quality, better maintenance.



`SYSTEM'

In this universe all the happenings are performed under a system. No activity can be performed with out a system, whether it is related to living or non living or both. A system is said to be perfect if desired result is achieved economically i.e. on both the axis time and cost, and this is known as productivity. But if cost factor is not accounted and production is more, then it is production based result and productivity is not achieved.

Basically there are two components i.e. input, in carrying out any work or process and will result into out put. In absolute case these two components must be equal i.e. out must be equal to input, but it is not so. Because of some losses are unavoidable.

Thus if we further divide a system there will be total five components of a system:



`तन्त्र System'



I fact En+M+Ex must be equal to out put `O', but in spite of all care, precautions the three components can not be equal to out put. There will be some losses. These losses may be in terms of materials, labor, tolerance or quality. To minimize these losses on account of quality is known as quality assurance. If a job is carried with uttermost sincerity, honesty then one can achieve stipulated quality.

Here we aimed to discuss the departmental system. For better working the things should be well defined. And for that we need a prefect departmental set up.

The present system of P.W.Ds is out dated. It might be suitable for British who established this department. British were enough honest towards their duty and government. At that time this country was salve. But now a day this is not the position. So it was the primary duty of the government to organize not this but all the department of this country according to the need of an independent country. Not all at one time but step by step. We could not do it and the result is before us.

SMOSEY is a new organization with web site http://www.samoseyindia.com/. The samosey doesn't mean the delicious India dish.

This samosey mean: SOLUTION + MAKING + SAYSTEM (SMS).

And it our National language: स + मो + से = संकट + मोचन + सेवा.

Samosey will give you absolute solution of your problem.

Here we will give a brief for the Reorganization of Sate Public Works Departments



`सारांश'

किसी भी देश की शासन व्यवस्था के अनुसार ही उस देश की प्रशासन-प्रणाली होनी चाहिए अन्यथा देश को दुर्व्यवस्था का सामना करना पड़ता है, राजतन्त्र हो अथवा जनतन्त्र/ प्रजातन्त्र। शासन/ प्रशासन तीन प्रकार का होता हैः- (1) स्वतन्त्र (2) परतन्त्र (3) स्वच्छन्द। इनमें स्वतन्त्र शासन/ प्रशासन प्रणाली श्रेष्ठ एवं यथेष्ठ होती है, जो कि नैतिक जनों की आकांक्षाओं के अनुरूप होती है। स्वतन्त्र प्रणाली में शासन/ प्रशासन, कर्मियों/ जन साधारण के कर्तव्य व अधिकार में सन्तुलन होता है। निष्ठापूर्वक व सत्यवृत्ति से कार्य करने वाले जनों के बाहुल्य से स्वतन्त्र कार्य प्रणाली स्थापित होती है।

वर्तमान में इस देश के अंग्रेजों द्वारा परतन्त्र भारत की व्यवस्था के लिए बनाये गये विभाग व तत्कालीन प्रशासन प्रणाली लागू है। स्वतन्त्र भारत में उस प्रणाली में सुधार के नाम पर ‘मुफ्लिसी के काबः पर पैबन्द सीने (रखने) की तरह' संशोधन किये जाते रहते हैं। वस्तुतः परतन्त्रता की कार्यप्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता थी/ है।

इस लेख में स्वतन्त्रता के अनुरूप व्यवस्था के मौलिक विचारों को लिपिबद्ध किया गया है। और इसके लिए सर्वप्रथम ‘लोक निर्माण विभाग' को चुना गया है। इसी Outline पर अन्य विभागों का भी पुनर्गठन किया जा सकता है। इस पुनर्गठन लेख का उद्देश्य प्रतिभाजनों को, देश की प्रशासनिक व्यवस्था के विषय में सोचकर, राष्ट्रहित का एक समाधान सोचने के लिए प्रोत्साहित करना है. जिससे कि वर्तमान में व्याप्त बुराईयों का निराकरण होकर, अच्छाई का सूत्रपात हो, और इस देश को हो रही दुर्गति से उबारा जा सके।



विषय सूची

1.0 प्राक्कथन

2.0 लोक निर्माण विभाग, अतीत व वर्तमान पर एक दृष्टि

3.0 कार्य प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता

4.0 परिवर्तन की रूपरेखा

5.0 विभिन्न पदों का वेतनमान व कार्य ढांचे में विवरण

5.1 तकनीकी पदों का विवरण व वेतनमान

5.2 लेखा वर्ग के पदों का विवरण

5.3 लिपिक वर्ग के पदों का विवरण

5.4 कम्प्यूटर प्रोग्रामर, भूमि अध्याप्ति, रेखाकार व मानचित्रकार आदि के पदों का विवरण

5.5 मार्गों व भवनों के निर्माण व अनुरक्षण के अन्तर्गत पदों का विवरण

5.6 कार्य ढांचे में कार्यालय व पदों का विवरण

6.0 नियुक्ति, पदोन्नति व अर्हता

6.1 (अ) नियुक्ति की प्रणाली

6.1 (ब) पदोन्नति की प्रणाली

6.2 अन्य पदों हेतु

7.0 वेतनमानों का ढ़ाँचा

7.1 तकनीकी पदों के वेतनमान

क- पदोन्नति वेतनमान

ख- क्रमशः वेतनमान

7.2 अन्य पदों हेतु वेतनमान

8.0 सेवाओं की प्रकार

9.0 कार्य दिवस व अवकाश

10.0 अनवरत शिक्षा-दीक्षा व अध्यापन

10.1 शिक्षा दीक्षा का उद्देश्य

10.2 शिक्षा दीक्षा के विषय

अ- तकनीकी पदधारियों हेतु

ब- अन्य कर्मियों हेतु

11.0 शोध व आविष्कार

12.0 डिजाइन, अन्वेषण व टैस्टिंग कार्य

13.0 अन्य महत्वपूर्ण बिन्द

13.1 स्वेच्छा से सेवा निवृत्ति

13.2 यात्रा भत्ता

13.3 राजकीय आवास

13.4 स्थानान्तरण

13.5 अधिष्ठान व्यय

14.0 कार्य सम्पादन सम्बन्धित व्यवस्थायें

14.1 शैडयूल आफ रेट का परिवद्र्दन

14.2 निविदाओं पर निर्णय

14.3 वित्तीय अधिकार

14.4 मार्गों/भवनों से होने वाली आय

14.5 मार्ग व यात्री

14.6 मार्ग/भवनों के अनुरक्षण हेतु श्रमिक दल

14.7 मशीनें

(1) जीप/स्टाफ कार

(2) वाहन खरीदने हेतु ऋण

(3) ट्रक व रोलर

(4) मिक्सर व वाईब्रेटर

14.8 कार्यालयों की स्टेशनरी, अन्य साज सज्जा व टेलीफोन आदि मद

14.9 अपव्यय

15.0 मार्गों पर अतिक्रमण यातायात नियंत्रण आदि के सम्बन्ध में

16.0 सम्पादित कार्यों की मापों को अंकित करना

1. उप इंजीनियर (Sub Engineer)

2. इकाई अभियन्ता (Unit Engineer)

3. उपमण्डल अधिकारी (Sub Divisional Officer)

17.0 सम्पादित कार्यों व सेवा का मूल्यांकन

18.0 कार्य प्रणाली को लागू करना

19.0 उपसंहार

20.0 साभार

REFERENCES



1.0 प्राक्कथन

जीवन में जड़ता की तुलना में गति/ परिवर्तन श्रेष्ठ होता है। लम्बे समय का ठहराव जीवन को नीरस बना देता है। एक ही व्यवस्था/ कार्य प्रणाली लम्बे समय तक यथावत बनी रहने पर चरमराने लगती है। ठीक उसी तरह जैसे उपयोगितावधि (Service life) पूरी हो जाने पर वाहन का उपयोग भी मितव्ययी (Economical) नहीं रह जाता है। इस प्रकार वाहन और कार्य प्रणाली दोनों ही समय से पूर्व खटारा हो जाती है। और तदन्तर अनुपयोगी व दुखःदायी हो जाती हैं। अधिकांश विभागों/ कार्य प्रणाली का सृजन अंग्रेजों ने परतन्त्र भारत के दोहन/ शोषण के लिए किया था। अंग्रेजों की बनायी वह प्रणाली स्वतन्त्र भारत के लिए अनुपयोगी थी, और हैं। इस देश को स्वतन्त्र भारत के अनुरूप प्रशासनिक/ अन्य विभागों के ढ़ाचों व तदानुसार ही उनकी कार्य प्रणाली की आवश्यकता थी. किन्तु ऐसा न हो सका, और ‘मुफ्लिसी‘ के काबः पर पैबन्द लगाने‘ की तरह परतन्त्रता की कार्य प्रणाली पर असंगत संशोधन के पैबन्द लगाते रहे/ रहते हैं।

परतन्त्र भारत के एक जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था हेतु अंग्रेजों ने मुख्य रूप से जिलाधीश (Collector means a man who is responsible to collect the revenue) पुलिस अधीक्षक/ कप्तान व जिला जज (District Judge) तीन अधिकारियों की व्यवस्था की थी। अंग्रेजों का मुख्य उद्देश्य लगान वसूल करने (To collect the revenue), इस कार्य में व्यवधान डालने वालों को दंडित करने, स्वतन्त्रता के लिए प्रयासरत आजादी के अमर सैनानियों को हतोत्साहित करने, अर्थात लाठियों से पिटवाने, गोली मरवाने, जेल में डालने, फाँसी दिलवाने का था। इसलिए अंग्रेजों ने परतन्त्र भारत की प्रशासनिक व्यवस्था, अन्य विभागों की व्यवस्था अपने इस शोषण व दोहन के स्वार्थ को ध्यान में रखकर की थी। इन तीनों पदों पर उन्होंने अंग्रेज व अंग्रेजियत कृत भारतीयों को नियुक्त किया था। और इस प्रकार वें लम्बे समय तक भारत को परतन्त्र बनाये रखने में सफल रहे। अंग्रेजों द्वारा सृजित इस व्यवस्था को स्वतन्त्र देश की प्रशासनिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं कहा जा सकता है। और इसमें क्या बुराईयाँ हैं, इसके लिए इस स्वतन्त्र देश की वर्तमान दुर्दशा इसका जीता-जागता साक्ष्य/ उदाहरण है। प्रशासन की तरह ही अन्य विभागों की व्यवस्था है। यहाँ सभी विभागों की प्रशासनिक व्यवस्था, कार्य प्रणाली का विवेचन एक साथ इस लेख में संभव नहीं है। यहाँ केवल लोक निर्माण विभाग को लक्ष्य कर विवेचना की गई है और उसे स्वतन्त्र देश के अनुरूप करने के सुझाव उपाय प्रस्तुत किये गये हैं। अन्य विभागों के लिये भी सुझाव दिये जा सकते हैं।

`Apconsultants' is an integral part of samoseyindia.com and have a team of dedicated Engineers, Transport Planner, and Environmental Engineer and GIS Expert. All the experts are from reputed Institutes of India as IIT and SPA.

1. Chief Engineer 1 IItian with 38 Years of Experience
2. Superintending Engineer 1 IItian with 42 Years of Experience
3. Chief Architect 1 IItian with 11 Years of Experience
4. Executive Engineers 2 IItian with 35 Years of Experience
5. Transport Planner & GIS Expert 1 SPA
6. Environmental Engineer 1 SPA
7. Assistant Engineer 1 With > 40 Years of Experience
8. Assistant Engineer (E/M) 1 With > 40 Years of Experience
9. Junior Engineer 1 With > 40 Years of Experience
10. Lab Assistant(A-Grade) 1 With > 40 Years of Experience
We are in a position to turn of any problem related to Transportation/ Highways and Buildings, and are confident for our excellent Quality Audit System.

If any body, any Government in this country is interested to know more they can contact on:

Email: samoseyindia@gmail.com, courtsey: hindi media

कोई टिप्पणी नहीं: