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बुधवार, 29 अप्रैल 2009

राम भजन : स्व. शान्ति देवी

सुनो री गुइयाँ

सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ, राज कुंवर दो आए।

सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

कौन के कुंवर?, कहाँ से आए?, कौन काज से आए?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

दशरथ-कुंवर, अवध से आए, स्वयम्वर देखे आए।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

का पहने हैं?, का धारे हैं?, कैसे कहो सुहाए?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

पट पीताम्बर, कांध जनेऊ, श्याम-गौर मन भये।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

शौर्य-पराक्रम भी है कछु या कोरी बात बनायें?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

राघव-लाघव, लखन शौर्य से मार ताड़का आए।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

चार कुंअरि हैं जनकपुरी में, कौन को जे मन भाए?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

अवधपुरी में चार कुंअर, जे सिया-उर्मिला भाए।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

विधि सहाय हों, कठिन परिच्छा रजा जनक लगाये।


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

तोड़ सके रघुवर पिनाक को, सिया गिरिजा से मनाएं।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

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