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सोमवार, 13 अप्रैल 2009

पान-पन्हैया और आम चुनाव- संजीव 'सलिल'

पान पन्हैया की रही, भारत में पहचान।
पान बन गया लबों की, युगों-युगों से शान।
रही पन्हैया शेष थी, पग तज आयी हाथ।
'सलिल' मिसाइल बन चली, छूने सीधे माथ।
जब-जब भारत भूमि में होंगें आम चुनाव।
तब-तब बढ़ जायेंगे अब जूतों के भाव।
- आचार्य संजीव 'सलिल' सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम

1 टिप्पणी:

अवनीश एस तिवारी ने कहा…

हेहेहेहेह | सही कहा

अवनीश तिवारी