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सोमवार, 13 अप्रैल 2009

कुण्डली -आचार्य संजीव 'सलिल'

हैं ऊँची दूकान में, यदि फीके पकवान।

जिसे- देख आश्चर्य हो, वह सचमुच नादान।

वह सचमुच नादान, न फल या छाँह मिलेगी।

ऊँचा पेड़ खजूर, व्यर्थ- न दाल गलेगी।

कहे 'सलिल' कविराय, दूर हो ऊँचाई से।

मिलती है ऊँचाई केवल नीचाई से.

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