लोकतंत्र के देखिये, अजब-अनोखे रंग।
नेता-अफसर चूसते, खून आदमी तंग॥
जंग करते हैं नकली।
माल खाते हैं असली॥
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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मंगलवार, 21 अप्रैल 2009
एक दोहा दो दुम का... सलिल
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