***********
सिया फुलबगिया आई हैं
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
कमर करधनी, पांव पैजनिया, चाल सुहाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
कुसुम चुनरी की शोभा लख, रति लजाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
चंदन रोली हल्दी अक्षत माल चढाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
दत्तचित्त हो जग जननी की आरती गाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
फल मेवा मिष्ठान्न भोग को नारियल लाई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
लताकुंज से प्रगट भए लछमन रघुराई हैं।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
मोहनी मूरत देख 'शान्ति' सुध-बुध बिसराई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
विधना की न्यारी लीला लख मति चकराई है।
गिरिजा पूजन सखियों संग सिया फुलबगिया आई हैं...
***********
2 टिप्पणियां:
लोक काव्य की सरसता, भाव प्रवणता, सहजता और बोधगम्यता के तत्व इस भक्ति-गीत को बारम्बार गाने योग्य बनाते हैं.
यह भजन घर पर अकेले तथा रामायण मंडली में सामूहिक रूप से गाने के लिए पूरी तरह उपयुक्त है. आनंद आ गया.
एक टिप्पणी भेजें