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मंगलवार, 12 दिसंबर 2017

muktak

मुक्तक: 
गीत रचें नवगीत रचें अनुगीत रचें या अगीत रचें 
कोशिश यह हो कि रचें जो भी न कुरीत रचें, सद्ऱीत रचें 
कुछ बात कहें अपने ढंग से, रस लय नव बिम्ब प्रतीक रहे 
नफरत-विद्वेष न याद रहे, बंधुत्व स्नेह संग प्रीत रचें
१२-१२-२०१४ 

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