कुल पेज दृश्य

सोमवार, 11 दिसंबर 2017

दोहा दुनिया

कंकर-कंकर में बसे,
शिव का कहीं नहीं अंत.
गुरुओं के गुरु सदाशिव,
भजें सुरासुर संत.
.
शंका के अरि शिव मिलें,
उसे जिसे विश्वास.
श्रद्धा रखा तो शिवा भी,
करतीं कृपा सहास.
.
बिंदु सिंधु का मूल है,
शिव-दर्शन सिद्धांत.
शिव से उपजे लीन हो,
शिव में सृष्टि सुकांत.
.
शिव भूखे हैं भाव के,
शिव को नहीं अभाव.
धन बल यश का हो नहीं,
शिव पर तनिक प्रभाव.
.
शिव को शव से भय नहीं.
मलते भस्म भभूत.
भक्त नहीं भयभीत हों
डरें आप यमदूत.
.

कोई टिप्पणी नहीं: