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शनिवार, 9 दिसंबर 2017

kshanika

क्षणिका 
*
बहुत सुनी औरों की 
अब तो 
मनमानी कुछ की जाए.
दुनिया ने परखा अब तक
अब दुनिया भी परखी जाए
*

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