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गुरुवार, 19 नवंबर 2020

आर्द्रा छंद

छंद सलिला
आर्द्रा छंद
संजीव
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द्विपदीय, चतुश्चरणी, मात्रिक आर्द्रा छंद के दोनों पदों पदों में समान २२-२२ वर्ण तथा ३५-३५ मात्राएँ होती हैं. प्रथम पद के २ चरण उपेन्द्र वज्रा-इंद्र वज्रा (जगण तगण तगण २ गुरु-तगण तगण जगण २ गुरु = १७ + १८ = ३५ मात्राएँ) तथा द्वितीय पद के २ चरण इंद्र वज्रा-उपेन्द्र वज्रा (तगण तगण जगण २ गुरु-जगण तगण तगण २ गुरु = १८ + १७ = ३५ मात्राएँ) छंदों के सम्मिलन से बनते हैं.
उपेन्द्र वज्रा फिर इंद्र वज्रा, प्रथम पंक्ति में रखें सजाकर
द्वितीय पद में सह इंद्र वज्रा, उपेन्द्र वज्रा कहे हँसाकर
उदाहरण:
१. कहें सदा ही सच ज़िंदगी में, पूजा यही है प्रभु जी! हमारी
रहें हमेशा रत बंदगी में, हे भारती माँ! हम भी तुम्हारी
२. बसंत फूलों कलियों बगीचों, में झूम नाचा महका सवेरा
सुवास फ़ैली वधु ज्यों नवेली, बोले अबोले- बस में चितेरा
३. स्वराज पाया अब भारतीयों, सुराज पाने बलिदान दोगे?
पालो निभाओ नित नेह-नाते, पड़ोसियों से निज भूमि लोगे?
कहो करोगे मिल देश-सेवा, सियासतों से मिल पार होगे?
नेता न चाहें फिर भी दलों में, सुधार लाने फटकार दोगे?
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

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