मुक्तक
*
विधान: र भ न ल
दीपिका सी प्रखर किरण
सीपिका से धवल चरण
हो रहा है पुलक 'सलिल'-
रागिनी का श्रवण-वरण
*
विधान: न न भ स
स्वजन सुजन ही सजन नहीं
दरस-परस ही मिलन नहीं
सुलग-दहकना असगुन है-
खुद मिल खुद से मगन नहीं
*
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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