दोहा सलिला
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मुकुल हुआ मिथलेश मन, सीता सुता सहर्ष
रघुवर को पा द्वार पर, वरे नवल उत्कर्ष
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भाव भावना शुद्ध हो, शब्द सुमन अविनाश
छाया मिले बसंत में, सपना छू आकाश
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बिना मंजरी श्याम कब, कर संतोष प्रसन्न
सरला भाषा वर सलिल, भक्ति भाव आसन्न
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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