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रविवार, 22 नवंबर 2020

नवगीत

सामयिक गीत
*
दूर रहो नोटा से प्यारे!
*
इस-उस दल के यदि प्यादे हो 
जिस-तिस नेता के वादे हो 
पंडे की हो लिए पालकी 
या झंडे सिर पर लादे हो 
जाति-धर्म के दीवाने हो 
या दल पर हो निज दिल हारे 
दूर रहो नोटा से प्यारे! 
आम आदमी से क्या लेना? 
जी लेगा खा चना-चबेना 
तुम अरबों के करो घोटाले
 स्वार्थ नदी में नैया खेना 
मंदिर-मस्जिद पर लड़वाकर 
क्षेत्रवाद पर लड़ा-भिड़ा रे! 
दूर रहो नोटा से प्यारे! 
जा विपक्ष में रोको संसद 
सत्ता पा बन जाओ अंगद
 भाषा की मर्यादा भूलो 
निज हित हेतु तोड़ दो हर हद 
जोड़-तोड़ बढ़ाकर भत्ते 
बढ़ा टैक्स फिर गला दबा रे! 
दूर रहो नोटा से प्यारे! 
१४-४-२०१९

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