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गुरुवार, 26 नवंबर 2020

मुक्तक

 मुक्तक:

मेरी तो अनुभूति यही है शब्द ब्रम्ह लिखवा लेता
निराकार साकार प्रेरणा बनकर कुछ कहला लेता
मात्र उपकरण मानव भ्रमवश खुद को रचनाकार कहे
दावानल में जैसे पत्ता खुद को करता मान दहे
*
बात न करने को कुछ हो तो कहिये कैसे बात करें?
बिना बात के बात करें जो नाहक शह या मात करें
चोट न जो सह पाते देते पड़ती तो रो देते हैं-
दोष विधाता को दे कहते विधना क्यों आघात करे??
*

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