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लोग हों सब साथ
हाथ में हों हाथ
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छोड़ दें हम फ़िक्र
साध लें आ नाथ
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रखो पैर सम्हाल
झुक न जाए माथ
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लक्ष्य पाते पैर
सहायक हो पाथ
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फूल बनते माल
डोर ले यदि गूँथ
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२१-११-२०१७
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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