एक पद-
अभी न दिन उठने के आये
चार लोग जुट पायें देनें कंधा तब उठना है
तब तक शब्द-सुमन शारद-पग में नित ही धरना है
मिले प्रेरणा करूँ कल्पना ज्योति तिमिर सब हर ले
मन मिथिलेश कभी हो पाए, सिया सुता बन वर ले
कांता हो कैकेयी सरीखी रण में प्राण बचाए
अपयश सहकर भी माया से मुक्त प्राण करवाए
श्वास-श्वास जय शब्द ब्रम्ह की हिंदी में गुंजाये
अभी न दिन उठने के आये
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२१-११-२०१७
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