दोहा सलिला
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आदम से करके घृणा, पूजें वेद-कुरान
नादां समझो हक़ीक़त, लिखें इन्हें इंसान
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दुलराओ हँस प्यार से, झुर्रीवाले हाथ
जिसने जन्म दिया विहँस, चूमो उसका माथ
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पिंजरे में कैसे भरे, पंछी कहो उड़ान
पंखों को परवाज़ दो, कतरो मत नादान
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सड़कें हैं आबाद हम, भूल गए दहलीज
घर सन्नाटा बुन रहे, चिथड़े प्यार-कमीज
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मदद करो दिल से कहे, पैना खंज़र चीख
कहे खबरची हर जगह, अमन रहा है दीख
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आँखें मूँदो दिख रहे, तारे दिन में यार
देश सो रहा चैन से, चीख रही सरकार
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उफनाई जब से नदी, तिनकों को तैराक
बता रहे अखबार में, मंत्रीजी बेबाक
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लोहू ओढ़े बर्फ की, चादर बेबस मौन
गाल बजा नेता रहे, मकसद पूछे कौन?
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सत्य न होते नींद में, देखे ख्वाब हुजूर
नींद उड़ा दें स्वप्न जो, होते सत्य जरूर
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तिमिर बताता छिप गया, खोजो कहाँ प्रकाश
धरा कहे पग जमाकर, छूलो हँस आकाश
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