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रविवार, 22 नवंबर 2020

दोहे अनुप्रास के

दोहा सलिला:
कुछ दोहे अनुप्रास के
संजीव
*
अजर अमर अक्षर अमित, अजित असित अवनीश
अपराजित अनुपम अतुल, अभिनन्दन अमरीश
*
अंबर अवनि अनिल अनल, अम्बु अनाहद नाद
अम्बरीश अद्भुत अगम, अविनाशी आबाद
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अथक अनवरत अपरिमित, अचल अटल अनुराग
अहिवातिन अंतर्मुखी, अन्तर्मन में आग
*
आलिंगन कर अवनि का, अरुण रश्मियाँ आप्त
आत्मिकता अध्याय अस, अब अंतर्मन व्याप्त
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अजब अनूठे अनसुने, अनसोचे अनुमान
अनचीन्हें अनदिखे से, अद्भुत रस अरमान 
*
अरे! अरे! अररर अड़े, अड़म बड़म बम बूम
अपनापन अपवाद क्यों अहम्-वहम की धूम?
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अकसर अवसर आ मिले, अन आहट-आवाज़
अनबोले-अनजान पर, अलबेला अंदाज़
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