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गुरुवार, 14 मई 2009

भजन: राम द्वारे आए -स्व. शान्ति देवी

राम द्वारे आए

धन धन भाग हमारे, राम द्वारे आए...

हरे-हरे गोबर से अंगना लिपायो, मोतियन चौक पुराए।
राम द्वारे आए...

केसर से शुभ-लाभ लिखे हैं, जल गुलाब छिड़काये।
राम द्वारे आए...

नारि सुहागन कलश धरे हैं, पंचमुख दिया जलाये।
राम द्वारे आए...

स्वागत करतीं मातु सुनयना, आरती दिव्य जलाए।
राम द्वारे आए...

उमा रमा ब्रम्हाणी शारदा, मंगल गान गुंजाये।
राम द्वारे आए...

शुभाशीष प्रभु चित्रगुप्त का, ब्रम्हा हरि शिव लाये।
राम द्वारे आए...

परी अप्सरा छम-छम नाचें, देव वधूटी गायें।
राम द्वारे आए...

जगत पिता को जगजननी ने, जयमाल संकुच पहनाएं।
राम द्वारे आए...

नभ में हर्षित चाँद-सितारे, सूर्य न लख पछताए।
राम द्वारे आए...

हनुमत वाल्मीकि तुलसी संग 'शान्ति' विहंस जस गाये।
राम द्वारे आए...

नेह नर्मदा बहा रहे प्रभु, नहा परमपद पाए।
राम द्वारे आए...

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2 टिप्‍पणियां:

pro kiran shrivastav, raipur ने कहा…

हमारी सनातन लोक संस्कृति का जीवंत प्रतीक है यह भजन. ऐसे भजन पढ़कर मन-प्राण तरंगित हो उठते हैं.

सुरेन्द्र नाथ चित्रांशी, कानपूर ने कहा…

राम-विवाह पर जीवंत रचना. भगवन चित्रगुप्त की चर्चा मौलिक उद्भावना है.