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सोमवार, 25 मई 2009

poetry: डॉ. राम शर्मा, मेरठ

MOTHER

Mother, why have you gone away,

why have you become so helpless,

why your face is faded,

why have you engulfed in darkness,

the light of the house,

where have you gone

4 टिप्‍पणियां:

Urmi ने कहा…

Oh! its a very beautiful and touching poem.I liked it very much.

alka mishra ने कहा…

आचार्य सलिल जी ,मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया ,हम प्राकृतिक सम्पदा बचाने में जुटे हैं ,दिव्य नर्मदा भी तो हमारी संपदा हैं , आपका ब्लॉग अच्छा लगा , विज्ञान विपाशा खाली क्यों है? फिर मेरी गली आईयेगा
जय हिंद

salil ने कहा…

sweet and simple.

M.M.Chatterji ने कहा…

I like such simple poetry.