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सोमवार, 18 मई 2009

काव्य-किरण: -शोभना चौरे

कसौटी

मुसकराने की कोई ,
वजह नहीं होती
वह तो कलियों के ,
खिलने की तरह होती है
सपनों की कोई तरंग ,
नहीं होती
वह तो मात्र मन को,
छलावा देती है
सागर की गहराई में जाना ,
मात्र उक्ति नहीं होती
वह तो प्रेम की अथाह
शक्ति होती है
दुनिया माने न माने ,
प्रेम की कोई
कसौटी नहीं होती है

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1 टिप्पणी:

PRAN SHARMA ने कहा…

BHAVABHIVYAKTI ATI SUNDER AUR
PRABHAAVEE HAI.