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शनिवार, 16 मई 2009

काव्य किरण : चुटकी -अमरनाथ

नव काव्य विधा: चुटकी
समयाभाव के इस युग में बिन्दु में सिन्धु समाने का प्रयास सभी करते हैं। शहरे-लखनऊ के वरिष्ठ रचनाकार अभियंता अमरनाथ ने क्षणिकाओं से आगे जाकर कणिकाओं को जन्म दिया है जिन्हें वे 'चुटकी' कहते हैं। चुटकी काटने की तरह ये चुटकियाँ आनंद और चुभन की मिश्रित अनुभूति कराती हैं। अंगरेजी के paronyms की तरह इसकी दोनों पंक्तियों में एक समान उच्चारण लिए हुए कोई एक शब्द होता है जो भिन्नार्थ के कारण मजा देता है।
१ आनंदी
जब उसे बुलाती आनंदी ,।
तब हँसकर कहती आ नंदी.
२ अश्वत्थामा
कहते उसकोअश्वत्थामा,
.
उसने सदा ही
अश्व थामा.
३ असम
रहता नहीं कभी जो सम .
कहते उसको सभी असम.
४ कन्या
राशि है उसकी कन्या
पर नहीं है वो कन्या.
५ ततैया
नाचती वो ता-ता-थैया
काट रहा जैसे ततैया.
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1 टिप्पणी:

anchit nigam ने कहा…

vaah...vaah... km padho zyada maja lo...