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शुक्रवार, 29 मई 2009

चौराहा


चौराहा


विवेक रंजन श्रीवास्तव


आज रंगा है चौराहा
भगवा रंग में
रामनवमीं है आज
कल ईद पर हरे रंग से सराबोर था चौराहा
चुनावों के मौसम में
तिरंगे दो रंगे ,बहुरंगे झण्डों पोस्टरों से
बातो बातों में रातोरात रंग जाता है चौराहा
शहर करता है स्वागत ,
नये साल का चौराहे पर
बिजली टेलीफोन के खम्भों पर बंधे लाउड स्पीकर
हर मौके पर हिट गानो का लगभग
एक सा शोर करते हैं
बैंड बाजों नाचते झूमते लोगो की भीड़ के साथ
अलग अलग मकसदों के लिये
जाने कहां से आ जाते हैं?
जूलूस भर लोग चौराहे पर .
ट्रेफिक थम जाता है
सड़को के दोनो ओर दूकानो से
लोग कौतुहल से देखते हैं जुलूस
जुलूस नारे लगाता गुजर जाता है
लोग फिर अपनी रोजी रोटी के चक्कर में
उलझ जाते हैं
चौराहे पर होती बेइंतिहा आतिशबाजी करती है उद्घोष
क्रिकेट में भारत की जीत का
चौराहे के पान के ठेले पर होती चर्चायें
बन जाती हैं दूसरे दिन अखबारों की खबरें
संसद का प्रति रूप है चौराहा
चौराहे ने देखी हैं
बदलती पीढ़ीयां
पीढ़ीयों के बदलते चाल चलन
सामाजिक बदलाव के बीच
स्थित प्रज्ञ ॠषि सा मूक दर्शक है चौराहा
चौराहे में समाया हुआ है सारा भारत वर्ष
अपनी विविध रंगी संस्कृति के साथ
चौराहे के गोल चक्कर में

1 टिप्पणी:

Divya Narmada ने कहा…

सटीक शब्द चित्र.

-सलिल