ठांडे जनक संकुचाएँ
ठांडे जनक संकुचाएँ, राम जी को का देऊँ ?...
हीरा पन्ना नीलम मोती, मूंगा माणिक लाल।
राम जी को का देऊँ ?
रेशम कोसा मखमल मलमल खादी के थान हजार।
राम जी को का देऊँ ?
कुंडल बाजूबंद कमरबंद, मुकुट अंगूठी नौलख हार।
राम जी को का देऊँ ?
स्वर्ण-सिंहासन चांदी का हौदा, हाथीदांत की चौकी।
राम जी को का देऊँ ?
गोटा किनारी, चादर परदे, धोती अंगरखा शाल।
राम जी को का देऊँ ?
काबुली घोडे हाथी गौएँ शुक सारिका रसाल।
राम जी को का देऊँ ?
चंदन पलंग, आबनूस पीढा, शीशम मेज सिंगार।
राम जी को का देऊँ ?
अवधपति कर जोड़ मनाएं, चाहें कन्या चार।
राम जी को का देऊँ ?
'दुल्हन ही सच्चा दहेज़ है, मत दे धन सामान।'
राम जी को का देऊँ ?
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन, देन बहु विध सम्मान।
राम जी को का देऊँ ?
शुभाशीष दें जनक-सुनयना, 'शान्ति' होंय बलिहार।
राम जी को का देऊँ ?
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4 टिप्पणियां:
Achchha bhajan.
Melodius Folk
ye bhajan is patrika ke star ko aur upar kar rahe hain .............. bahut badhiya
हमारे संस्कृति की पहचान ऐसे गीतों का प्रचालन दिनों-दिन कम होना और पश्चिमी या फिल्मी संगीत पर अधकचरा और भोंडा नृत्य संगीत देखना सजा से कम नहीं.
लेखिका ने सरस-मधुर गीतों में समूचा भावः-लोक बसा लिया है. उनकी पुण्य-स्मृति को नमन.
दिव्या नर्मदा परिवार को शुभ कामनाएँ.
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