हास्य हाइकु
मन्वंतर
अजब गेट
कोई न जाए पार
रे! कोलगेट।
एक ही सेंट
नहीं सकते सूंघ
है परसेंट।
कौन सी बला
मानी जाती है कला?
बजा तबला।
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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मंगलवार, 19 मई 2009
काव्य-किरण:
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
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4 टिप्पणियां:
हाइकु का यह रंग अब तक अपरिचित था. मन भाया. लगातार लिखो.
interesting and funny
I like such haiku.
wah-wah.
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