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रविवार, 28 जून 2020

संस्कृति : महाभारत के अज्ञात तत्व

संस्कृति : महाभारत के अज्ञात तत्व
  • राजा शान्तनु की दूसरी शादी एक केवट कन्या से होती है। जिसका नाम मत्स्यगंधा था। जिसका नाम आगे चलकर सत्यवती हो गया। “शांतनु, जो कि एक राजा, मतलब क्षत्रिय थे, ने केवट कन्या से विवाह किया।” यह घटना हमें सिखाती है कि हिन्दू धर्म में अपने वर्ण से बाहर विवाह कर सकते हैं। जो आजकल के समय में आसानी से मान्य नहीं है। कहने का आशय, माता-पिता की सहमति से तो नही हो रहा है।
  • अगला सबक हमे रुक्मणि और द्रौपदी से मिलता है। रुक्मणि के पिता एवं भाई ने रुक्मणि मर्जी के बिना उसका विवाह शिशुपाल से तय कर दिया। तो रुक्मणि ने कृष्ण से विवाह कर लिया। पिता की इच्छा के विरुद्ध। इसी प्रकार द्रौपदी ने कर्ण से विवाह करने से मना कर दिया था। ये दोनों घटनाऐं हमे शिक्षा देती हैं कि कन्या की इच्छा के विरुद्ध उसका विवाह करना वर्जित है।
  • रानी कुंती और रानी सत्यवती दोनों को विवाह के पूर्व ही संतान थी। कुंती को महारथी कर्ण और सत्यवती को महर्षि वेदव्यास विवाह के पूर्व ही जन्मे थे।
  • अधिकांश लोग यह नहीं जानते, कि राजा पाण्डु और राजा धृतराष्ट्र के जैविक पिता महर्षि वेदव्यास थे। जबकि कानूनी पिता विचित्रवीर्य थे।
  • सभी पांडव अलग- अलग देवताओं के पुत्र थे।
  • रानी गांधारी की सभी संतानों का जन्म वेदव्यास ने टेस्टट्यूब बेबी जैसी विधि अपनाकर किया था, जिसे नियोग कहते थे।
  • शिखंडी जन्म से लड़की थी। मगर गन्धर्व की सहायता से उसने लिंग परिवर्तन करवाया था। बिल्कुल वैसा ही जैसा आज प्रचलित है। अर्जुन ने भी एक साल के लिए लिंग बदला था।
  • भगवान बलराम की जैविक माता देवकी थी। मगर देवकी के गर्भ को रोहणी की कोख में प्रतिस्थापित कर दिया गया था। आज कल की सरोगेट मदर जैसे।
  • अर्जुन ने विराट युध्द में क्लोरोफार्म की तरह का हथियार का प्रयोग कर सभी कौरवों को बेहोश किया था।
  • ऊपर जिन तथ्यों का मैंने वर्णन किया है, वो हिन्दू धर्म की आधुनिकता को सब के सामने लाने के लिए किया है। लोगों से आशा है, कि वो स्वविवेक का प्रयोग करेंगे; न कि भावना का।

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