कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 25 जून 2020

दोहा सलिला

दोहा सलिला
*
लाक्षणिकता हो प्रबल, सहज व्यंजना साध्य।
गति-यति-लय पच तत्वमय दोहा ही आराध्य।
*
दोहा-सुषमा सहजता, भाषिक सलिल प्रवाह।
पाठक करता वाह हो, श्रोता भरता आह।।
*
भाव बिंब रस भाव दें, दोहा के माधुर्य।
मिथक-प्रतीक सटीक हों, किन हो क्लिष्ट-प्राचुर्य।।
*
२५-६-२०१९

कोई टिप्पणी नहीं: