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सोमवार, 29 जून 2020

लेखनी के धनी आचार्य संजीव सलिल - डॉ. नीलम खरे

संजीव भैया के प्रति
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सदा लेखनी के धनी,श्रीमान संजीव
करते सिरजन नित्य ही,हैं सारस्वत जीव
हैं सारस्वत जीव,करें साहित्य-वंदना
हैं ज्ञानी,उत्कृष्ट,जानते लक्ष्य-साधना
कहती 'नीलम' आज,कभी ना कहें अलविदा
चोखे श्री संजीव,रहें गतिमान वे सदा।
--डॉ नीलम खरे
आज़ाद वार्ड
मंडला(मप्र)-481661
(9425484382)

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