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मंगलवार, 23 जून 2020

मुक्तिका माता-पिता

मुक्तिका
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माता जिसकी सूरत है, वह मूरत है साकार पिता
लेन-देन कहिए, या मुद्रा माँ है तो  व्यापार पिता

माँ बिन पिता, पिता बिन माता कैसे कहिए हो सकते?
भव्य इमारत है मैया तो है उसका आधार पिता

यह काया है वह छाया है, यह तरु वह है पर्ण हरे
माँ जीवन प्रस्ताव मान सच, जिसका है स्वीकार पिता

अर्पण और समर्पण की हैं परिभाषा अद्भुत दोनों 
पिता बिना माता बेबस हैं,  माता बिन लाचार पिता

हम दोनों उन दोनों से हों, एक दूसरे के पूरक
यही चाहते रहे हमेशा माँ दुलार कर प्यार पिता
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