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रविवार, 28 जून 2020

शारद वंदना

शारद वंदना
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कृपा करो माँ हंसवाहिनी!,
करो कृपा
भवसागर में नाव फँसी है,
भक्त धँसा

रही घेर माया फंदे में, मातु! बचा
रखो मोह से मुक्त, सृजन की डोर थमा

नहीं हाथ को हाथ सूझता, राह दिखा
उगा सूर्य नव आस जगा, भव त्रास मिटा

रहे शून्य से शू्न्य, सु मन से सुमन मिला
रहा अनकहा सत्य कह सके, काव्य-कथा

दिखा चित्र जो गुप्त, न मन में रहे व्यथा
'सलिल' सत्य नारायण की सच सिरज कथा
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संजीव
७-६-२०२०

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