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सोमवार, 22 जून 2020

शारद बंदन (बुंदेली)

शारद बंदन (बुंदेली)
*
बीना लें खें पधारें, बीनाबादिनी साथ
कृपा कोर कर हों सदय, रखें सीस पै हाथ
मोरी मति चकरानी है, ऐ मैया! मोए बचा लइयो
मो खों गैल भुलानी है, ऐ मैया! पार लगा दइयो
जनम-जनम की मैली चादर
रीती सत करमन की गागर
सदय नईं नटराज हो रए
दया नईँ कर रए नटनागर
प्रभु की कृपा करानी है, रमा-उमा लै आ जइयो
मोरी मति चकरानी है, ऐ मैया! मोए बचा लइयो
तनक न जानौं पूजन-वंदन
नईँ जुट रए अच्छत्-चंदन
प्रगट नें होते चित्रगुप्त जू
सदय नें होते गिरिजानंदन
दरसन की जिद ठानी है, ऐ मैया! दरस दिला दइयो
मोरी मति चकरानी है, ऐ मैया! मोए बचा लइयो
सारद! हंसबाहिनी माता
सकल भुवन तुमरे जस गाता
नीर-छीर मति दो ममतामई!
कलम लए कर रऔ जगराता
अलंकार रस छंद न जानूँ, भगतें सुझा लिखा लइयो
मोरी मति चकरानी है, ऐ मैया! मोए बचा लइयो
***
संजीव
११-६-२०२०
भुन्सारे चिरैया
*
नई आई,
बब्बा! नई आई
भुन्सारे चरैया नई आई
*
पीपर पै बैठत थी, काट दओ कैंने?
काट दओ कैंने? रे काट दओ कैंने?
डारी नें पाई तो भरमाई
भुन्सारे चरैया नई आई
नई आई,
सैयां! नई आई
*
टला में पीयत ती, घूँट-घूँट पानी
घूँट-घूँट पानी रे घूँट-घूँट पानी
टला खों पूरो तो रिरयाई
भुन्सारे चरैया नई आई
नई आई,
गुइयाँ! नई आई
*
फटकन सें टूंगत ती बेर-बेर दाना
बेर-बेर दाना रे बेर-बेर दाना
सूपा खों फेंका तो पछताई
भुन्सारे चरैया नई आई
नई आई,
लल्ला! नई आई
*

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