कुल पेज दृश्य

सोमवार, 29 जून 2020

समस्यापूर्ति : ग़ज़ल

समस्यापूर्ति
प्रदत्त पंक्ति- मैं जग को दिल के दाग दिखा दूँ कैसे - बलबीर सिंह।
*
मुक्तिका:
(२२ मात्रिक महारौद्र जातीय राधिका छंद)
मैं जग को दिल के दाग, दिखा दूँ कैसे?
अपने ही घर में आग, लगा दूँ कैसे?
*
औरों को हँसकर सजा सुना सकता हूँ
अपनों को खुद दे सजा, सजा दूँ कैसे?
*
सेना को गाली बकूँ, सियासत कहकर
निज सुत सेना में कहो, भिजा दूँ कैसे?
*
तेरी खिड़की में ताक-झाँक कर खुश हूँ
अपनी खिड़की मैं तुझे दिखा दूँ कैसे?
*
'लाइक' कर दूँ सब लिखा, जहाँ जो जिसने
क्या-कैसे लिखना, कहाँ सिखा दूँ कैसे?
*

२९-६-२०१७ 

कोई टिप्पणी नहीं: