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रविवार, 28 जून 2020

हिंदी व्याकरण : अनुस्वार और अनुनासिक

हिंदी व्याकरण : अनुस्वार और अनुनासिक चंद्रबिंदु 
अनुस्वार- अनुस्वार का चिह्न (ं) यह है, यह तो आप सब जानते ही हैं।
हर व्यंजन कहलाने वाले वर्ग के पाँचवें वर्ण जैसे - ङ् ञ् ण् न् म् का प्रयोग जब किया जाता है तो इन वर्णों को परिवर्तित करके इनकी जगह अनुस्वार लगाया जाता है।
हिंदी केन्द्रीय मानकीकरण द्वारा वर्तनी संबंधी कई नियम बनाए गए हैं, जिसे सन 2012 में लागू किया गया है। [1]
कंप्यूटर के कुंजी पटल में सीमित स्थान होने के कारण वर्णों में अनुस्वार का प्रयोग निम्नलिखित तरीके से किए जाने को मान्य रूप दिया गया है।
जैसे:
पङ्कज - पंकज
चञ्चल - चंचल,
घमण्ड, - घमंड
आनन्द - आनंद
सम्बन्ध - संबंध
पर ऊपर लिखे शब्दों के मानक रूप में पारित किए जाने के बाद भी कुछ शब्द जैसे - दण्ड, निबन्ध या सम्बन्ध आज भी प्रचलन में हैं।
पर कई जगहों पर पंचम वर्ण के बात कोई दूसरा वर्ण आता है तो उसके स्थान पर अनुस्वार नहीं लगेगा।
जैसे - अन्य सही है अंय नहीं।
चिन्मय और उन्मुख सही है, चिंमय और उंमुख नहीं।
अब बात करते हैं, अनुनासिक क्या है?
अनुनासिक - अनुनासिक का चिह्न चंद्रबिंदु(ँ) है। अनुनासिक व्यंजन नहीं है, स्वरों का ध्वनिगुण है।
चंद्रबिंदु(ँ) का प्रयोग केवल उन शब्दों में ही किया जा सकता है, जिनकी मात्राएँ शिरोरेखा से ऊपर न लगी हों।
यह ध्यान देने वाली बात है।
जैसे: अ, आ, ऊ, ए,
अनुनासिक स्वरों के उच्चारण में मुँह के अलावा नाक से भी हवा निकलती है, तो उपर्युक्त लिखे शब्द में चंद्रबिंदु का प्रयोग होगा।
जैसे :– अँ आँ, ऊँ, एँ,
अँगना, आँख, ऊँचा, आएँ
आपके प्रश्न के अनुसार चाहूँगा, लिखूँगा, हूँ लिखना सही है क्योंकि उन अक्षरों में ऊँ स्वर की ध्वनि आ रही है, जिसे बोलने में मुँह के साथ नाक से भी आवाज निकलती है।
अब जैसे माँ, चाँद या आँख लिखना है तो यहाँ भी चंद्र बिंदु का प्रयोग होगा क्योंकि इन्हें बोलने में आँ स्वर की ध्वनि आ रही है।
आप स्वयं बोल कर देख लीजिए।
कई बार हंस / हँस को लेकर भी दुविधा हो जाती है कि क्या सही है?
हंस - एक पक्षी का नाम है तो हंस लिखने पर यही समझा जाता है। यहाँ न् का प्रयोग अनुस्वार में किया गया है।
हँस - इसका मतलब हँसने से है तो हँसना लिखने पर ह के ऊपर चंद्र बिंदु का ही प्रयोग होगा।

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