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रविवार, 28 जून 2020

शारद वंदना

शारद वंदना
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शारद मैया शस्त्र उठाओ,
हंस छोड़ सिंह पर सज आओ...

सीमा पर दुश्मन आया है, ले हथियार रहा ललकार।
वीणा पर हो राग भैरवी, भैरव जाग भरें हुंकार।।

रुद्र बने हर सैनिक अपना, चौंसठ योगिनी खप्पर ले।
पिएँ शत्रु का रक्त तृप्त हो,
गुँजा जयघोषों से जग दें।।

नव दुर्गे! सैनिक बन जाओ
शारद मैया! शस्त्र उठाओ...

एक वार दो को मारे फिर, मरे तीसरा दहशत से।
दुनिया को लड़ मुक्त कराओ, चीनी दनुजों के भय से।।

जाप महामृत्युंजय का कर, हस्त सुमिरनी हाे अविचल।
शंखघोष कर वक्ष चीर दो,
भूलुंठित हों अरि के दल।।

रणचंडी दस दिश थर्राओ,
शारद मैया शस्त्र उठाओ...

कोरोना दाता यह राक्षस,
मानवता का शत्रु बना।
हिमगिरि पर अब शांति-शत्रु संग, शांति-सुतों का समर ठना।।

भरत कनिष्क समुद्रगुप्त दुर्गा राणा लछमीबाई।
चेन्नम्मा ललिता हमीद सेंखों सा शौर्य जगा माई।।

घुस दुश्मन के किले ढहाओ,
शारद मैया! शस्त्र उठाओ...
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१७-६-२०२०

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