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रविवार, 28 जून 2020

हिंदी व्याकरण : तालव्य

हिंदी व्याकरण : तालव्य 
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिंदी में स्वर और व्यंजन दोनों को मिलाकर 52 वर्ण हैं।
स्वर एवम् व्यंजन दोनों को मिलाकर ही वर्ण बनते हैं। वर्णों के उच्चारण में मुख से अलग-अलग ध्वनियां निकलती हैं।
हिंदी भाषा में उन सभी ध्वनियों को अलग- अलग नामों से जाना जाता है।
कुछ ध्वनियां कंठ से,
तो कुछ होठ से,
कुछ जिह्वा और तालु के स्पर्श से,
तो कुछ होंठ ओर दंत के स्पर्श से निकलती हैं।
इनका वृहत वर्णन हिंदी व्याकरण में किया गया है।
आपका यह प्रश्न, तालव्य का प्रयोग कैसे करते हैं; इसके लिए तालव्य की परिभाषा क्या है; यह जानना जरूरी है।
तालव्य (palatal) की परिभाषा- जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा का मध्य - भाग तालु से स्पर्श करता है उन्हें तालव्य कहते हैं। इन ध्वनियों से निकलने वाले वर्णों का वर्णन इस प्रकार से है
  1. इ, ई ( स्वर)
  2. च, छ, ज, झ, ञ,श, य ( व्यंजन)
आप इन वर्णों को खुद बोल कर देखिए, आप महसूस करेंगे कि इन सभी वर्णो के उच्चारण में आपके जिह्वा का मध्य - भाग तालु को स्पर्श कर रहा है ।
तालव्य का प्रयोग और इनके उच्चारण से बने वर्णो का वर्णन तो हो गया।
मैं बाकी वर्णों के उच्चारण के बारे में जिन ध्वनियों का प्रयोग होता है, उसका संक्षिप्त वर्णन करना चाहती हूँ ताकि यह उत्तर पूरा हो जाए।
कंठ्य - क, ख, ग, ध, ङ
तालव्य - च, छ, ज, झ, ञ
मूर्धन्य - ट, ठ, ड, ढ, ण
दंत्य - त, थ, द, ध, न
ओष्ठ्य - प, फ, ब, भ, म
अन्तस्थ - य, र, ल, व'
ऊष्म - 'श, ष, स' ह
क्ष त्र ज्ञ और श्र ये चारो संयुक्त व्यंजन है। इनका उच्चारण दो वर्णों को मिलाकर ही किया जा सकता है।
क्ष = क्+ ष
त्र = त्+र
ज्ञ = ज्+ ञ
श्र = श् + र
इनके अलावा दो व्यंजन द्विगुण व्यंजन भी कहलाते हैं।
ड के नीचे बिंदु लगाकर ड़ बनता है। इससे खड़ा, कपड़ा जैसे शब्द लिखे जा सकते हैं।
ढ के नीचे बिंदु लगाकर ढ़ बनता है। इससे पढ़ाई, कढ़ाई, चढ़ाई जैसे कई शब्द लिखे जा सकते हैं।

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