भाषा ज्ञान सलिला १:
ध्वनि क्या है?
जिन जीवों को कान प्राप्त हैं, वे कान से सुनी जा सकनेवाली तरंगों को ध्वनि कहते हैं।
अक्षर / वर्ण क्या है ?
कंठ से अनेक प्रकार ध्वनियाँ बोली जा सकती हैं। जिन ध्वनियों से सार्थक शब्द बन सकते हैं उन्हें अक्षर/वर्ण कहते हैं।
शब्द क्या है?
एक या एक से अधिक वर्णों का स्वतंत्र सार्थक समुच्चय शब्द है। जैसे - माँ, गुरु, देश, भाषा, मानव, भगवन आदि। शब्द -भेद क्या है? शब्दों के अर्थों तथा उपयोग के आधार पर उन्हें वर्गीकृत किया गया है,यह वर्गीकरण ही शब्द भेद है। बनावट (व्युत्पत्ति), उत्पत्ति, प्रयोग तथा अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण किया गया है।
अ. व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द भेद : इसके तीन प्रकार रूढ़, यौगिक तथा योगरूढ़ हैं।
- रूढ : जो शब्द अन्य शब्दों के मेल से न बने हों और अर्थ विशेष बताते हों तथा जिनके टुकड़ों का कोई अर्थ न हो, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे - अब, सरल, अनुभूति आदि।
- यौगिक : कई सार्थक शब्दों के मेल से बने शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे- मन + ईश = मनीष, जन्म + भूमि = जन्मभूमि, गृहस्थ + आश्रम = ग्रहस्थाश्रम आदि।
- योगरूढ : वे यौगिक शब्द जो सामान्य अर्थ को न बताकर भिन्न या विशेष अर्थ बताते हैं, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। उदाहरण - गज = हाथी+ आनन = मुँह, गज + आनन = गजानन = गणेश, काम + अरि = कामारि = शिव आदि।
आ. उत्पत्ति के आधार पर शब्द भेद: - उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार भेद तत्सम, तद्भव, देशज तथा अदेशज हैं।
- तत्सम : तत्सम शब्द संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के लिए गए हैं। जैसे -रवि, पवन, स्नेह, विशिष्ट आदि।
- तद्भव : संस्कृत भाषा के जो शब्द रूप बदलने के बाद हिन्दी भाषा में प्रयोग किये जाते हैं, वो तद्भव कहलाते हैं। उदाहरण - पिता (पितृ), माता (मातृ), भाई (भ्रातृ या भ्राता), आग (अग्नि), खेत (क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य) आदि।
- देशज : क्षेत्रीय बोली के प्रभाव के कारण प्रचलित हो गए शब्दों को देशज शब्द कहते हैं। जैसे - गैल (राह), टपरिया (झोपड़ी), मजूर (मजदूर), मताई ता महतारी (माँ) आदि।
- अदेशज : विदेशी भाषा के संपर्क से उनके बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं, उन्हें अदेशज शब्द कहते हैं। जैसे -
- अंग्रेजी शब्द - स्टेशन, मोबाइल, डॉक्टर, कार, बस, मोटर आदि।
- फारसी शब्द - अनार, आदमी, चश्मा, चापलूसी, दुकान, दरबार, नमक, बरफ, रूमाल आदि।
- अरबी शब्द - औलाद, अमीर, कत्ल, कानून, फकीर, माालिक आदि।
- तुर्की शब्द - कैंची, चाकू, तोप, बारूद, दरोगा, बहादुर आदि।
- पुर्तगाली शब्द - अचार, आलपिन, कारतूस, गमला, चाभी, तिजोरी, तौलिया, फीता, साबुन आदि।
- फ्रांसीसी शब्द - पुलिस, कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू, बिगुल आदि।
- चीनी शब्द - तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि।
- यूनानी शब्द - टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम, डेल्टा आदि।
- जापानी शब्द - रिक्शा, हाइकु, ताँका, स्नैर्यू आदि।
इ. प्रयोग के आधार पर शब्द भेद - प्रयोग के आधार पर शब्द के आठ भेद संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण, संबंध सूचक अव्यय, समुच्चयबोधक अव्यय तथा विस्मयादिबोधक अव्यय हैं।
इन आठ प्रकार के शब्दों को भी विकार की दृष्टि से दो भागों में बाँटा गया है।
विकारी शब्द - जिन शब्दों का रूप परिवर्तन होता है, वो विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे - मैं, मुझे, हमें, अच्छा, अच्छी, अच्छे, खाता, खाती, खाते,, कहता, कहती, कहते हैं आदि। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के विकारी शब्द आते हैं।
अविकारी शब्द - जिन शब्द के रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता है, वो अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे - यहाँ, अरे, किन्तु, और, हे आदि। इसके अंतर्गत क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विसमयादिबोधक शब्द आते हैं, जिन शब्दों का उदाहरण दिया गया है।
4 ) अर्थ के आधार पर शब्द भेद - अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद हैं।
- सार्थक शब्द - जिन शब्दों का कुछ न कुछ अर्थ हो, वो सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे : आम, रोटी, ममता, पानी, आरती आदि। इन सारे शब्दों का एक या एक से अधिक अर्थ है। आम, रोटी ये खाने की चीजें हैं। ममता माँ के प्यार से जुड़ा है। उसी तरह पानी पीने के काम आता है।
- निरर्थक शब्द - जिन शब्दों का कोई अर्थ न हो वो निरर्थक शब्द कहलाते हैं। कई बार कुछ शब्दों को हम बोलने में प्रयोग में लाते हैं लेकिन उसका कोई अर्थ नहीं होता है तो वे निरर्थक शब्द हो जाते हैं। जैसे: पानी- वानी, डंडा- वंडा, रोटी- वोटी या ऐसे ही शब्द। इन शब्दों में रोटी का मतलब खाने से है लेकिन साथ बोला गया वोटी शब्द निरर्थक है,क्योंकि उसका कुछ अर्थ नहीं है।
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