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गुरुवार, 25 जून 2020

त्रिप्रमाणिका सवैया

अभिनव प्रयोग-
नवान्वेषित त्रिप्रमाणिका सवैया
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गणसूत्र - ज र ल ग, ज र ल ग, ज र ल ग।
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चलो ध्वजा उठा चलें, प्रयाण गीत गा चलें, सभी सुलक्ष्य पा सकें।
कहीं नहीं कमी रहे, विकास की हवा बहे, गरीब सौख्य पा सकें।
नया उगे विहान भी, नया तने वितान भी, न भेद-भाव भा सकें।
उठो! उठो!! न हारना, जहां हमें सुधारना, सुछंद नित्य गा सकें।
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२५-६-२०१९
संजीव वर्मा 'सलिल'
७९९९५५९६१८

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