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सोमवार, 29 जून 2020

साहित्य पुरोधा - 'संजीव वर्मा सलिल'


बहुमुखी व्यक्तित्व के साहित्य पुरोधा - 'संजीव वर्मा सलिल'
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श्री संजीव वर्मा 'सलिल" बहुमुखी प्रतिभा के धनी है । अभियांत्रिकी, विधि, दर्शा शास्त्र और अर्थशास्त्र विषयों में शिक्षा प्राप्त श्री संजीव वर्मा 'सलिल' जी देश के लब्ध-प्रतिष्ठित साहित्यकार है जिनकी कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीट मेरे, काल है संक्रांति का, सड़क पर और कुरुक्षेत्र गाथा सहित अनेक पुस्तके चर्चित रही है ।
दोहा, कुण्डलिया, रोला, छप्पय और कई छन्द और छंदाधारित गीत रचनाओ के सशक्त हस्ताक्षर सही सलिल जी का पुस्तक प्रेम अनूठा है। इसका प्रमाण इनकी 10 हजार से अधिक श्रेष्ठ पुस्तको का संग्रह से शोभायमान जबलपुर में इनके घर पर इनका पुस्तकालय है ।
इनकी लेखक, कवि, कथाकार, कहानीकार और समालोचक के रूप में अद्वित्तीय पहचान है । मेरे प्रथम काव्य संग्रह 'करते शब्द प्रहार' पर इनका शुभांशा मेरे लिए अविस्मरणीय हो गई । इन्होंने ने कई नव प्रयोग भी किये है । दोहो और कुंडलियों पर इनकी शिल्प विधा पर इनके आलेख को कई विद्वजन उल्लेख करते है ।
जहाँ तक मुझे जानकारी है ये महादेवी वर्मा के नजदीकी रिश्तेदार है । इनकी कई वेसाइट है । ईश्वर के प्रति प्रगाढ़ आस्था के कारण इन्होंने के भजन सृजित किये है और कई संस्कृत की पुस्तकों का हिंदी काव्य रूप में अनुवाद किया है ।
सलिल जी से जब भी कोई जिज्ञासा वश पूछता है तो सहभाव से प्रत्युत्तर दे समाधान करते है । ये इनकी सदाशयता की पहचान है । एक बार इनके अलंकारित दोहो के प्रत्युत्तर में मैंने दोहा क्या लिखा, दोहो में ही आधे घण्टे तक एक दूसरे को जवाब देते रहे, जिन्हें कई कवियों ने सराहा । ऐसे साहित्य पुरोधा श्री 'सलिल' जी साहित्य मर्मज्ञ के साथ ही ऐसे नेक दिल इंसान है जिन्होंने सैकड़ों नवयुवकों को का हौंसला बढ़ाया है । मेरी हार्दिक शुभकामनाएं है ।
मेरी भावभव्यक्ति -
प्रतिभा के धनी : संजीव वर्मा सलिल
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प्रतिभा के लगते धनी, जन्म जात कवि वृन्द ।
हुए पुरोधा कवि 'सलिल',प्यारे जिनको छन्द ।।
प्यारे जिनको छंद, पुस्तके जिनकी चर्चित ।
छन्दों में रच काव्य, करी अति ख्याति अर्जित ।।
कह लक्ष्मण कविराय, साहित्य में लाय विभा*।
साहित्यिक मर्मज्ञ, मानते वर्मा में प्रतिभा ।।
*क्रांति

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