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मंगलवार, 23 जून 2020

मुक्तिका: आँख का पानी

मुक्तिका:
आँख का पानी
संजीव वर्मा 'सलिल'
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आजकल दुर्लभ हुआ है आँख का पानी.
बंद पिंजरे का सुआ है आँख का पानी..
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शिलाओं को खोदकर नाखून टूटे हैं..
आस का सूखा कुंआ है आँख का पानी..
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द्रौपदी को मिल गया है यह बिना माँगे.
धर्मराजों का जुआ है आँख का पानी..
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मेमने को जिबह करता शेर जब चाहे.
बिना कारण का खुआ है आँख का पानी..
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हजारों की मौत भी उनको सियासत है.
देख बिन बोले चुआ है आँख का पानी..
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किया मुजरा, मिला नजराना न तो बोले-
जहन्नुम जाए मुआ! खो आँख का पानी..
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देवकी राधा यशोदा कभी विदुरानी.
रुक्मिणी कुंती बुआ है आँख का पानी..
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देख चन्दा याद आतीं रोटियाँ जिनको
दिखे सूरज में पुआ बन आँख का पानी..
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भजन प्रवचन सबद साखी साधना बानी
'सलिल' पुरखों की दुआ है आँख का पानी..
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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
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२३-६-२०११

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