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सोमवार, 29 जून 2020

सलिल को काव्यांजलि - मनोज

श्री संजीव वर्मा सलिल के प्रति काव्यांजलि
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अंतर्मन से कलकल बहती रसधार सलिल की कविता है
जीवन का सत्य समाहित है उपहार सलिल की कविता है
युग बोध कराती जन-जन के आक्रांत क्लांत मानव मन को
अंतस के छिपे पहलुओं का आधार सलिल की कविता है
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समय फिसलता चला जा रहा शायद सिर्फ प्रयासों में
जैसे बीती उमर हमारी खुद की तो वनवासो में
लेकिन शायद अश्व समय का थकता रुकता नहीं कभी
नाम सलिल का हुआ है अच्छी कविता के इतिहासों में
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मनोज श्रीवास्तव
सेवा निवृत्त वरिष्ठप्रबंधक( ट्रेनिंग) एच ए एल लखनऊ मंडल
2 / 78 विश्वास खंड गोमती नगर
लखनऊ उ प्र भारत 226010
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