हिंदी व्याकरण : ड.ञ,ण,न,म वर्णों का प्रयोग
ये वर्ण अपने-अपने वर्गों के पंचम अर्थात अन्तिम वर्ण हैं। ये पाँचों अनुनासिक वर्ण हैं। इन के सही प्रयोग जानने के लिए हम कुछ उदाहरण देखेंगे -
पंक = पङ्क ; पंजा = पञ्जा ; खंड = खण्ड ; दंत = दन्त ; दंभ = दम्भ।
नियम यह है कि अनुस्वार अपने बाद के वर्ण के वर्ग के पंचम अनुनासिक वर्ण में बदल जाएगा। 'पंक' में अनुस्वार के बाद 'क्' है। कवर्ग का पाँचवाँ वर्ण 'ङ्' है, अतः अनुस्वार 'ङ्' में बदल जाएगा। इस प्रकार शब्द बना 'पङ्क'। इसी तरह 'पंजा' में अनुस्वार 'ञ्' में बदलेगा क्यों कि 'ज' चवर्ग का है और इस वर्ग का अन्तिम वर्ण 'ञ्' है। अतः शब्द बना - पञ्जा। यही नियम सर्वत्र लागू होता है।
पहले हिन्दी में भी इस नियम का पालन होता था, क्यों कि यह उच्चारण सम्मत है। परन्तु अब छपाई की सुविधा के नाम पर केवल अनुस्वार दिया जाता है। लेकिन अब यह तो अनुस्वार के पैरोकारों से कोई पूछे कि 'संबंध' में पहले अनुस्वार का उच्चारण 'म्' तथा दूसरे अनुस्वार का उच्चारण 'न्' क्यों होता है।
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