जबलपुर, 24.6.2018। विश्ववाणी हिंदी संस्थान तथा अभियान की संयुक्त गोष्ठी विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर स्थित कार्यालय में संपन्न हुई। सरस्वती पूजनोपरांत नवोदित दोहाकार प्रोत शोभित वर्मा के अनुरोध पर आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने भाषा तथा छंद के उद्भव, दोहा छंद की संरचना, विधान, प्रकार आदि पर प्रामाणिक जानकारी दी। दोहा, सोरठा, रोला, जनक छंद आदि के अंतर्संबंध की जानकारी दी। संस्थाध्यक्ष श्री बसंत शर्मा चर्चा में सहभागिताकर दोहा, सोरठा और रोला छंद में साम्य और अंतर को केंद्र में रखा। नवोदित दोहाकार छाया सक्सेना ने पिंगल में परंपरागत त्रिपदिक छंदों ककुप, गायत्री अादि तथा वर्तमान में प्रचलित जनक छंद, हाइकु छंद आदि की रचना-प्रक्रिया संबंधी जानकारी चाही। ख्यात नवगीतकार श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव ने नवगीत में छंद की भूमिका पर मार्गदर्शन किया। प्रसिद्ध कवि-लघुकथाकार श्री सुरेश कुशवाहा 'तन्मय' ने लोकगीत, गीत, नवगीत के वैशिष्ट्य की चर्चा की। त्रैमासिकी साहित्य त्रिवेणी कोलकाता के छंद विशेषांक का संपादन कर रहे सलिल जी ने प्राप्त लेखों के विषय वैविध्य तथा वाचिक छंद परंपरा के केंद्र में होने की जानकारी दी। विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर के तत्वावधान में शीघ्र प्रकाश्य 'दोहा शतक एकादशी' के 3 भाग पूर्ण होने तथा भाग 4 में मात्र 6 सहभागियों हेतु स्थान रिक्त होने की जानकारी दी गई। इस महत्वपूर्ण सारस्वत अनुष्ठान में हर सहभागी के 100 दोहे, चित्र, परिचय तथा समीक्षात्मक टीप हेतु व पृष्ठ हैं। 9 राज्यों के 38 दोहाकार सहभागी हैं। गोष्ठी के समापन चरण में हिंदी तथा लोकभाषाओं बुंदेली, बघेली, निमाड़ी में काव्यपाठ ने रसधार प्रवाहित की।
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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सोमवार, 25 जून 2018
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