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शनिवार, 16 जून 2018

छंद कोष महीयसी छंद

छंद कोष की एक झलक:
षड्मात्रीय रागी जातीय छंद प्रकार में महीयसी छंद:
विधान: लघु गुरु लघु गुरु (१२१२)
लक्षण छंद:
महीयसी!
गरीयसी।
सदा रहीं
ह्रदै बसीं।।
*
उदाहरण
गीत:
निशांत हो,
सुशांत हो।
*
उषा उगी
कली खिली।
बही हवा
भली भली।
सुखी रहो,
न भ्रांत हो...
*
सही कहो,
सही करो।
चले चलो,
नहीं डरो।
विरोध ही
नितांत हो...
*
करो भला
वरो भला।
नरेश हो
तरो भला।
न दास हो,
न कांत हो...
*
विराट हो
विशाल हो।
रुको नहीं
निढाल हो।
सुलाक्ष्य छू
दिनांत हो...
**

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