कुल पेज दृश्य

सोमवार, 4 दिसंबर 2017

muktak

एक मुक्तक: 
दे रहे हो तो सारे गम दे दो 
चाह इतनी है आँखें नम दे दो 
होंठ हँसते रहें हमेशा ही 
लो उजाले, दो मुझे तम दे दो
*

कोई टिप्पणी नहीं: