एक सप्तपदी :
(मौसाजी स्व. प्रमोद सक्सेना तथा मौसीजी श्रीमती कमलेश सक्सेना.मैनपुरी के प्रति)
शीश धर पैर में मैं नमन कर सकूँ
पीर मुझको मिले, शूल मुझको मिलें
धूल चरणों की मैं माथ पर धर सकूँ
ऐसी किस्मत नहीं, भाग्य ऐसा नहीं
रह सकूँ साथ में आपके मैं सदा-
दूर हूँ पर न दिल से कभी दूर हूँ
प्रार्थना देव से पीर कुछ हर सकूँ
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